फिर से जागना ... यानि Research
जो जैसा है, अस्तित्व उसे वैसा ही देख रहा है, फिर मुझे वह वैसा क्यों नहीं दिखता ?... क्योंकि अस्तित्व होते हुए भी मै अपने
को व्यक्तित्व माने हुए हूँ. तात्पर्य यह कि जो खोजा हुआ है उसे ही मुझे फिर से
खोजना (RESEARCH)
पड़ता है, यानि
अपने व्यक्तित्व होने की मान्यता से मुक्त होकर अपने अस्तित्व होने पर फिर से
जागना पड़ता है.
-अरुण
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