केवल चिरंतन- न कल आज और कल
कल कभी आया नही, कल कभी आता नही
आज आजीवन खरा है..... खुद को दुहराता
नही
हम तो सोते जागते हैं, सूर्य उगता डूबता
'आज' कल
का... आज अभ्भी.. और अगामी
सब चिरंतन जागता है ...... सिर्फ़ उसको
दिख सका
जो कभी सोया नही...... ना सूर्य जिसका
डूबता
- अरुण
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