कुछ शेर
निकलते आँख से आंसू कभी तेरे कभी मेरे
अलहिदा है नही ये गम के तेरा हो के मेरा हो
प्यार में अपने पराये का नही कोई हिसाब
ऐसा मंजर है कि जिसमें कोई बटवारा नही
हर कुई मजबूर लेकर जिन्दगी की दास्ताँ
कुछ ही करते आप अपने दास्ताँ की जुस्तजू
..................................................... अरुण
अलहिदा है नही ये गम के तेरा हो के मेरा हो
प्यार में अपने पराये का नही कोई हिसाब
ऐसा मंजर है कि जिसमें कोई बटवारा नही
हर कुई मजबूर लेकर जिन्दगी की दास्ताँ
कुछ ही करते आप अपने दास्ताँ की जुस्तजू
..................................................... अरुण
Comments
TEENON SHE'R UMDA............
ACHHE LAGE....