सच पर कल्पना के गहने



सच को पेश करने के लिए
सभी तथाकथित धर्मों ने उसे
कल्पना के गहने पहनाएँ हैं
समय के गुजरते इन कल्प-गहनों का बोझ
इतना बढ़ता गया कि उसके नीचे सच
दबकर प्रायः मर गया हो
-अरुण

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