मौत किसी को नहीं जानती
ये
तो याद नहीं कि
मेरे
जन्म के समय
मुझे
मिलनेवाली जिंदगी ने
मेरा
नाम पता ठिकाना मकसद और मंजिल के बारे में
मुझसे
पूछा था की नहीं?
पर
यह तो मै साफ साफ देख रहा हूँ कि
सामने
खड़ी मौत को भी इस बात में
कोई
रूचि नहीं है
कि मै कौन हूँ, किस जातपात,
देश
सूबा से ताल्लुक रखता हूँ,
जिंदगी
में मैंने क्या कमाया या खोया हैं.
उसे
तो इस बात से भी कोई सरोकार नहीं कि
मै
आदमी हूँ, या कोई और प्राणी या
किसी
जंगल में पला पेड़ पौधा
-अरुण
Comments