भीतर बाहर केवल प्रशांत होगा
आदमी
के बाहर की
गतिविधियाँ
गर थम जाएँ
तो
उसके मन की धमनियां भी
थमी
समझो,
कानों
में ध्वनी होगी पर शब्द नहीं
ओंठो
पर ओंकार होगा
कोई
आकार नहीं,
शाब्दिक
शांति के परे बसने वाला
एकान्त
होगा
शब्द-लहरों
का अस्तित्व न होनेके बराबर
क्योंकि
भीतर
बाहर केवल प्रशांत होगा
-अरुण
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