शरीर और उसका मन-विचरण



यह शरीर और इसकी सारी यंत्रणा,
हमेशा वर्तमान में ही जिन्दा है.
हाँ, इस यंत्रणा द्वारा चालित मन
भूत और भविष्य में विचरता रहता है.
और शरीर के इस मन-विचरण के कारण ही
चेतना कल्प-जगत में विचरने लगती है.
जो अपना ध्यान शरीर पर स्थिर कर अपने
being में रहता है उसे मन-विचरण बहका नहीं पाता
अन्यथा आदमी का चित्त भूत-भविष्य में भ्रमित हो जाता है
-अरुण

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