अस्तित्व की wholeness या अखंडता



अस्तित्व के wholeness या अखंडता को
न आजतक कोई खंडित कर सका है और
न ही कर सकेगा. हाँ, मनुष्य के
विकसनने (evolution) ऐसे विकल्प दूँढ लिए है
जो उसे अस्तित्व को खंडित करने का
आभास दिला देते हैं.
विकसन ने मनुष्य को मन दिया है,
जिसका काम ही है आभास पैदा करना
इसी आभास का उपयोग मन अपने मन-त्रों को
(स्वतन्त्र व्यक्तित्व, संकल्पनाएँ, भाषा, गणित, तर्क, समय, अवकाश जैसी धारणाओं)
जगाने और उन्हें उपयोग में लाने के काम में करता है
सारी वैज्ञानिक प्रगति या भौतिक विकास
इसी का परिणाम है परन्तु इससे अस्तित्व की
अखंडता पूरी तरह अछूती और अकम्पित रही है.
समाधी इसी अकम्पित अवस्था की खोज है
-अरुण
    

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