मनुष्य के ही कायदे संतो को भी लागू



कोई किसी को
भगवान या ईश्वरतुल्य समझे,
इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए,
यह उस श्रद्धालु की अपनी स्वतंत्रता है.
परन्तु मनुष्य के समाज में रहनेवाले
ऐसे भगवानों को मनुष्य के ही
नितिनियम और कानून लागू होंगे,
इस बात को श्रद्धालु भुला नहीं सकते.
तथाकथित संत दोषी है या नहीं ?
यह बात तो अभी सिद्ध होनी है पर तबतक
संत को भी उन्ही प्रक्रियाओं से गुजरना होगा
जो मनुष्य ने मनुष्य के लिए बनाई हैं  
-अरुण  

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