रुबाई

रुबाई
*******
ख़ुशी मेरी या मेरा ग़म....सब दूसरों के हांथ
दूसरों की कारवाईयों का मैं हूँ...बस जवाब
है मशीनी जिंदगानी ख़ुद तो कुछ करती नही
ख़ुद करेगी कारवाई जब कभी जाएगी जाग
- अरुण

Comments

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

लफ्जों की कश्तियों से.........

तीन पोस्टस्