रुबाई

रुबाई
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खुद के भीतर जा उतर सीढी कुई लगती नही
दुसरों की आंख से दुनिया कभी दिखती नही
आइनें भी शक्ल दिखलाते मगर क्या काम के
आइनों  में शक्स की गहराईयां ...दिखती नही
- अरुण

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