रुबाई

रुबाई
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आग पानी बन उड़ेगी और पानी बन धुआं
सीखने को कुछ नहीं है भूलने का सब समां
सब गिराओ ज्ञान अपना शून्य में रहकर रमों
शून्य में ही रह रही बुद्धत्व की संवेदना
- अरुण

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