रुबाई
रुबाई
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बीती कभी अनबीती को देखने नही देती
बिनचखे को बिनचखा.....रहने नही देती
है स्मृती की यह करतूत .परेशां है आदमी
जिंदगी को जिंदा बने.......रहने नही देती
- अरुण
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बीती कभी अनबीती को देखने नही देती
बिनचखे को बिनचखा.....रहने नही देती
है स्मृती की यह करतूत .परेशां है आदमी
जिंदगी को जिंदा बने.......रहने नही देती
- अरुण
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