रुबाई
रुबाई
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भूत ही भूत महल बनाता है
कल्पनाओं में रमा रहता है
महल में बैठे..महल के अंदर ही
वर्तमां को भी बुला लेता है
- अरुण
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भूत ही भूत महल बनाता है
कल्पनाओं में रमा रहता है
महल में बैठे..महल के अंदर ही
वर्तमां को भी बुला लेता है
- अरुण
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