रुबाई

रुबाई
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खड़ा हो सामने संकट भयावह काल बनकर
निपटना ही पडे ..उससे हमें  तत्काल बढ़कर
निरर्थक.. सोच चर्चा भजन पूजन..ये सभी तो
दिमागी फितूर... बैठे आदमी के भाल चढ़कर
- अरुण

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