रुबाई

रुबाई
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सुनना है?.. सुनना भर..न समझने की फ़िक्र कर
मौन को साधे रहो.......मनमें न कोई ज़िक्र कर
हर सुनी बातें वचन क़िस्से तभी...., ताज़ातरीन
सुननेवाले ने सुने गर  ....ख़ुद की हस्ती भूलकर
- अरुण

Comments

Amrita Tanmay said…
बहुत ही बढ़िया ..

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