कुछ शेर .....
मिल जाना समंदर में लहर की इशरत
'आगे क्या?'- पूछने को कौन बचे
मुक्ति की बात से तो मतलब नही अभी
बंधन का बंध समझा, बस बात ये बहोत
न उम्मीद कुई और न मै हारा हूँ
पल पल की जिंदगी से वास्ता है मेरा
.................................................................... अरुण
'आगे क्या?'- पूछने को कौन बचे
मुक्ति की बात से तो मतलब नही अभी
बंधन का बंध समझा, बस बात ये बहोत
न उम्मीद कुई और न मै हारा हूँ
पल पल की जिंदगी से वास्ता है मेरा
.................................................................... अरुण
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