समतल वर्तमान पर भूत भविष्य का भ्रम

कागज पर रेखाओं और शेडिंग द्वारा ऊँची नीची घाटियाँ रेखांकित की जाती हैं। कागज का धरातल समतल होते हुए भी उसपर ऊंचाई एवं गहराई जैसे आयामों का भ्रम पैदा कर दिया जाता है।
अस्तित्व में केवल वर्त्तमान ही है, परन्तु मस्तिष्क में, स्मृति रेखाओं के सहारे भूत एवं भविष्य काल का भ्रम निर्मित होता है। इसतरह, समय या काल का काल्पनिक आयाम वास्तव जान पड़ता है। वर्तमान में ही अतीत एवं भविष्य का स्पर्श है।
............................................................................................................................. अरुण

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