कुछ शेर
सोचने को भी न बच पाए समय
ऐसे संकट में निकल आती है राह
किसी भी चीज जगह का नही है नाम सच
दिखना के असल क्या है, सच हुआ
ख्यालात उभरते हैं, बनते हुए इक शीशा
शीशे में उभरता 'मै', ख्यालात चलाता है
.............................................................. अरुण
ऐसे संकट में निकल आती है राह
किसी भी चीज जगह का नही है नाम सच
दिखना के असल क्या है, सच हुआ
ख्यालात उभरते हैं, बनते हुए इक शीशा
शीशे में उभरता 'मै', ख्यालात चलाता है
.............................................................. अरुण
Comments
Depth of J krishnamurthy
Clarity of OSHO
ALL IN ONE!!!!!