हर सांस अलग, हर कदम भी अलग



हर सांस की तरह,
जिंदगीकी राह पर पडनेवाला
हर कदम भी, पिछले कदम से अलग है,
यह बात न समझपाने के कारण ही
आदमी आज और अभी के सवालों का
जबाब बीते या आते कल में
ढूंढते थक चुका है
-अरुण        

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