तोरा मन दरपन कहलाए....



साहिर साहब बहोत ही भातें हैं.
फिल्मी गीतों में गहन-भाव उलेड देने का
उनका अंदाज़ अदभुत है....
काजल फ़िल्म के... इस गीत में
‘दरपन’ शब्द ने ... उस साक्षीभाव की
बात की है ..जो दूर बैठे मन के सभी आन्दोलनों को
बड़े ही त्रयस्थभाव से निहारता है.. बिना किसी
प्रतिक्रिया के अवलोकता है  
-अरुण

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