तीन दोहे

अँखियाँ अन्दर जोड़ दे, वो तेरा गुरु होय
गर अँखियाँ गुरु से जुडी,अन्दर का सत खोय
...........................
अगला कद ऊँचा करे हम छोटे हो जात
अहंकार करता दुजा अपने मन पर घात
.......................
माटी कभी न टूटती, घट माटी का टूटे
जो माटी बनकर रहे, कभी न टूटे फूटे
.................................................... अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के