ग़मों से दोस्ती मेरी .......

सजायी जिंदगी मैंने टपकते आंसुओं से
गमों से दोस्ती मेरी तसल्ली है इसीसे

हसें हम जब कभी कोई नया रोना हुआ हासिल
बहल जाता है पाकर दुख नया खोया हुआ ये दिल
उदासी चैन से पायी बड़ी जिन्दादिली से
गमों से दोस्ती मेरी तसल्ली है इसीसे

ख़ुशी के साज बजते हैं सिसकती जिंदगी के दर
महकती हैं बहारें सुलगते वीरान दिल के घर
अंधेरों में चमक जाती है बर्बादी खुशीसे
गमों से दोस्ती मेरी तसल्ली है इसीसे

दफन हो जाए हर उम्मीद फिर भी है अभी जीना
बनावट हो उमंगों में मगर उसपर ही जी लेना
जियेंगे जबतलक तूफान उलझे जिंदगी से
गमों से दोस्ती मेरी तसल्ली है इसीसे

सजायी जिंदगी मैंने टपकते आंसुओं से
गमों से दोस्ती मेरी तसल्ली है इसीसे
............................................... अरुण

Comments

Kusum Thakur said…
बहुत अच्छी रचना है ... आभार !
दफन हो जाए हर उम्मीद फिर भी है अभी जीना
बनावट हो उमंगों में मगर उसपर ही जी लेना...
जीने के लिए यही हौसला तो जरुरी है ...शुभकामनायें ...!!
सजायी जिंदगी मैंने टपकते आंसुओं से
गमों से दोस्ती मेरी तसल्ली है इसीसे

सुन्दर भाव अरूण भाई।

दुख ही दुख जीवन का सच है लोग कहते हैं यही
दुख में भी सुख की झलक को ढ़ूँढ़ना अच्छा लगा

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

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