एक चिंतन

जो खोज करते राह के
दूसरे छोर तक पहुँच गया
उससे राह छूट गई
उसे भरोसा हो गया कि
'ईश्वर' तक पहुँचने की कोई राह नही
उसने जाना कि
'ईश्वर' ही ढूंढ़ रहा था उसको
जैसे जन्म पाने के लिए
ढूंढें कोई बच्चा
किसी मां की कोख
................... अरुण

Comments

राह को खोजते राह का खो जाना ....ईश्वर का खोजना माँ की कोख को ...
दोनों विचारो का साम्य प्रभावित कर रहा है ...!!
Udan Tashtari said…
बहुत उम्दा भाव!!
Mithilesh dubey said…
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ।

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