संतुलित जीवन
जो हमें थामे हुए है वह है
हमारा प्राकृतिक (आजाद) धर्म
जिसे हम थामे हुए है वह है हमारा
नीति=नियमाधीन (आरोपित) धर्म
ऐसा धर्म जो हमें हमारी
प्राकृतिक आजादी के खिलाप खड़ाकर
कमजोर बना देता है,
हमारी मूल प्रवृति को दबाता है
ताकि वह हमपर
आसानी से सत्ता बनाये रख सके
नैसगिक धर्म है हमारी आजादी और
नीति-नियमों वाला धर्म है
हमारी आजादी पर लगाम कसने वाला, पर
समाज को भानेवाला,
समाज ने रचा हुआ
तथाकथित धर्म
........
जो अपनी मूल आजादी से जुड़े हुए
समाज-धर्म निभाने का कौशल्य रखते हैं
उनका जीवन संतुलित है
जो अपनी मूल-प्रवृत्ति के खिलाफ
समाज-धर्म को ही सही माने में धर्म समझकर
जी रहे हैं उनका जीवन ढकोसले से भरा हो तो
आश्चर्य नही
..................................................... अरुण
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समाज-धर्म निभाने का कौशल्य रखते हैं
उनका जीवन संतुलित है
सार्थक विचार ...