किसीने सूचित किया “ सेठजी घोडागाडी पर सवार होकर बाजार जा रहे थे. ” इस सूचना में निहित तथ्य हैं – सेठजी का प्रयोजन बाजार जाने का था गाडीवान सेठजी के आदेश का पालन कर रहा था घोडा गाडीवान के लगाम-सकेतों के अनुसार अपनी दिशा और गति संवार रहा था घोड़े के कदम घोड़े की मस्तिष्क के आधीन होकर काम कर रहे थे इसतरह सेठजी अपने प्रयोजन से, गाडीवान मिले आदेश से, घोडा लगाम से और घोड़े के कदम घोड़े के मस्तिष्क से संचालित थे. हरेक का संचालक अलग होते हुए भी देखनेवाले की दृष्टि और समझ में सभी – गाडीवान, घोडा और घोड़े के कदम – मिलकर एक ही प्रयोजन की दिशा में संचलित लग रहे थे. इसीतरह, अहंकार, मन, मस्तिष्क और शरीर मिलकर संचलित होते दिखते हैं, किसी बाजार या काल्पनिक प्रयोजन की दिशा में. -अरुण