तनहाई में बडबडाता है
सरहदें हैं जबतलक महफूज दिल में
इरादा जंग का मिटना, नही मुमकिन
तशनालब को ही ये मय नसीब है
वैसे तो कई हांथों में प्याले दिखते
झूठ से भागो तो बात नही बनती ‘अरुण’
झूठ को देखे बिना, सच को जाना किसने
जंगल में पेड तनहा चुपचाप खड़ा
ये तो आदमी है, तनहाई में बडबडाता है
-अरुण
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