दो भिन्न जीवन गुण


कल्पना में सराबोर हुए सत्य में जीना और
सत्य में बने हुए कल्पना में विचरना -
दो भिन्न गुण हैं.
पहला गुण है सांसारिक व्यक्ति का
तो दूसरा है अवधानी का
-अरुण 

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