ये ‘एक’ हुआ क्या ?


खयालों से बना मन, बनी जिन्दा शख्सियत
सारा जहान जबकि हुई, एक हकीकत
इंसा को समझ आएना, ये एक हुआ क्या ?
देता रहा खयाल को ही,  सारी अहमियत
-अरुण    

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के