वह चौथी अवस्था


जब जागता हूँ
अपने वर्तमान के सन्दर्भ में
भूतजन्य विचार बन कर जीता हूँ,
जब सोता हूँ
अपने भूत के सन्दर्भ में
भूतजन्य स्वप्न बनकर जीता हूँ.
कभी कभी ही शायद
अपनी सोयी अवस्था में ऐसे क्षण आये होंगे
जब मै भूतजन्य विचार और स्वप्न
दोनों से ही मुक्त था

उस चौथी अवस्था का अभी पता ही नही
जब मनुष्य अपने वर्तमान के सन्दर्भ में
केवल वर्तमानजन्य वर्तमान
बनकर ही जीता है
-अरुण

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