चैतन्य का स्पर्श


चेतना जब बीते अनुभवों के
स्मृतिसंवेदन से
सक्रिय हो उठती है
तब अहंकार का जन्म होता है
जब यथावास्तव (Real Reality)
का भान रखते हुए सकल में समाहित होती है
तब चैतन्य का स्पर्श होता है
-अरुण

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