आदर्श जमीनी और आसमानी



गेंद जमीन को छूता और
फिर उछलता है,
इन्सान के आसमानी आदर्श
जमीन से डरते हुए उछलते हैं
और इसीलिए जमीन पर आ गिरते हैं
-अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के