आत्मा हो या न हो .....



आत्मा हो या न हो,
आत्मभाव तो होता ही है जिसे
हर कोई, हर पल, हर क्षण महसूस कर रहा है.
वह मन-विषयों में रमते अहंकार के रूप में,
ध्यान में तैरते निर्विकार की अवस्था में और
इन दोनों के परे हो जाने पर  
परम-आकर के साथ एक हो जाता है
-अरुण    

Comments

Popular posts from this blog

षड रिपु

मै तो तनहा ही रहा ...