दृश्य, दर्शन और दर्शक
दृश्य का स्पष्ट दर्शन पाने वाला
दर्शक
स्वयं के प्रति सोया होता है,
स्वयं पर ध्यान ज़माने वाला,
दृश्य पर सो जाता है.
दृश्य और दर्शक दोनों पर
एक साथ जागनेवाला ही
दृश्य, दर्शन और दर्शक – तीनो के
बीच का भेद
पूरी तरह खोकर सृष्टि के एकत्व को
देख लेता है
-अरुण
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