एक रहस्यमयी प्रश्न
क्या आदमी को अपने
होने का पता
दुसरे आदमी के
होने को देखते हुआ
?
क्या दुसरे आदमी के
होने का पता
अपने होने को देखते
हुआ ?
सच तो यह है कि
अपना और दूसरा
इस ‘न होते भेद’
का ख्याल आते ही
भेद पैदा हो गया.
फिर एक रहस्यमयी प्रश्न
उभरता है -
क्या भेद को ख्याल
(विचार) ने जन्माया या
ख्याल को भेद ने ?
-अरुण
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