खुली आँखवाले
खुली आंख वालों को जो दिखता है,
उसे वे प्रतिकों के माध्यम से
सब को दिखलाना
चाहतें हैं
परन्तु देख पातें हैं केवल वे
जिनकी आँखों से अज्ञान या माया का पडदा हट
चुका हो, बाकी सब केवल प्रतिकों से ही
अपनी ‘दर्शन’ की प्यास को
बुझाने की कोशिश में
रमें रहते हैं
-अरुण
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