मन एक मिलीजुली अवस्था है


मनोविज्ञान ने चेत,अर्धचेत और अचेत जैसी
तीन अवस्थाओं में
चेतना को भले ही बाँट दिया हो परन्तु
अनुभव के तल पर
एक ही समय मनुष्य तीनों ही अवस्थाओं में
विचरता रहता है
मस्तिष्क में विचार, गतानुभव का स्पष्ट अस्पष्ट स्मरण,
भावी कल्पनाओं का आवागमन
जैसी बातें एक ही समय,
मनुष्य के आचरण से झलकती रहती हैं
ध्यानावस्था इस आंतरिक अवस्था को उजागर करती है
मन एक मिलीजुली अवस्था है
-अरुण    

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