Think global, act local


अंग्रेजी का यह वाक-प्रचार (Phrase)
पर्यावरण, नियोजन एवं व्यापार के सन्दर्भ में
प्रचलित है
मै इसे आध्यत्मिक सोच से जोड़कर देख रहा हूँ ......
सृष्टि का अभिन्न हिस्सा होते हुए भी
अपनी व्यक्तिगत काल्पनिक परन्तु व्यावहारिक
दुनिया में खो जाने के कारण
अपने सृष्टि- अभिन्नत्व को मनुष्य
भूल बैठा है
यदि वह अपने
अभिन्नत्व(Global) पर
जागते (replace ‘think’ by ‘aware’ ) हुए
व्यक्तिगत (local) कृति करता रहे तो
उसकी ऐसी कृति में
एक गुणात्मक (qualitative) बदलाव जन्म लेगा   
-अरुण

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