जागृति एक परम अवस्था है
अनुभव लेना, जानना और निरखना
इन तीन अवस्थाओं से परे है
मनुष्य की जागने की अवस्था
जो जागा वही मुक्त है
अनुभव, ज्ञान और साक्षी निरिक्षण
तीनो ही बातों का कोई करने वाला होता है
परन्तु जागृति का न तो कोई कर्ता है
और न ही किसी व्यक्ति पर यह घटती है
जागृति एक परम अवस्था है
जिसके आधीन मनुष्य अस्तित्व से
एकजीव हो जाता है
-अरुण
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