सकल ध्यान है अस्तित्व


सकल ध्यान है अस्तित्व और
खंडित ध्यान है अस्तित्वगत ज्ञान
ध्यान का कोई ध्यानक नही परन्तु
ज्ञान का ज्ञानक (ज्ञानी) है
ध्यान के खंडित होते ही
कर्ता और कृत्य का द्वैत फलता है
ज्ञान ध्यान के मार्ग में बाधा है
परन्तु ध्यान की अवस्था में
ज्ञान को कोई रूकावट नही  
- अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के