अस्तित्व सम्पूर्ण है


व्यवस्था यह शब्द सापेक्ष है
मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए
जिस शारीरिक एवं मानसिक व्यवस्था
की आवश्यकता होती है, वह व्यवस्था
अन्य जिवाणुओं, प्राणियों
या वनस्पतियों को शायद
प्रतिकूल लगती होगी
अस्तित्व (कुल अस्तित्व)
परिवर्तित होते हुए भी अपनी एक
व्यवस्था बनाए रखता है
क्योंकि अस्तित्व सम्पूर्ण है
उसे किसी एक ही अंग या अंश की
व्यवस्था से सरोकार नही है
वह सारे जोड़ घटाव
के बावजूद भी सम्पूर्ण है
- अरुण

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