दो शेर - नववर्ष की शुभ इच्छाओं के साथ
नीति निभे न निभे
नीयत ठीक तो सब ठीक
......................
फासला तो था नही, लगने लगा
चाक अपनी ही जगह चलने लगा
.............................................. अरुण
नीयत ठीक तो सब ठीक
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फासला तो था नही, लगने लगा
चाक अपनी ही जगह चलने लगा
.............................................. अरुण
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सुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.
(अजीत जोगी की कविता के अंश)