कुछ विचारणीय बातें

आठ बच्चों का बाप जिसका यह व्यवसाय है
लिखना नारे गली गली, परिवार नियोजन के

चुनावी- घोषणा-पत्र जारी करने वाले क्या 'उस बाप' से भिन्न हैं?
.........................
स्वामीजी के प्रवचन ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' का पाठ पढ़ाया
अंत में भारत की संस्कृति का गुणगान कर तालीयां बटोरीं

स्व-संस्कृति की डींग हाकने वाले अध्यात्म से दूर ही रहें तो ही अच्छा हो
...................
पूरे परिवार का पेट भरने, निर्धन बाप बच्चों से भी काम करवाता है
थोड़ी बहुत हैसियत वाले घरों में, अपने भविष्य का बोझ बच्चा बाप पर डालता है


परिस्थिति शोषण करवाती है कहीं बच्चों का तो कहीं बाप का
............................................................................................. अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द