एक विचार

जोर से घूमता बिजली का पंखा, उसके मध्य में दिखता प्रकाश-चक्र
वह प्रकाश-चक्र एक वास्तविकता है भी और नही भी, जैसा देखें वैसा दिखे

दुनियादारी देह- दृष्टि में वास्तविक है परन्तु ध्यान-दृष्टि में है केवल भ्रम
............................................................................................................. अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द