कुछ शेर

जुबां पे लफ्ज नही, थे अंगारे
अब किताबों में हैं लाशे उनकी
......................
मशालें उनके हाथों में दिए जाते हो
मासूम जला देंगे खुदका ही आशियाना
.....................
दौड़ने दो अपने खयाली घोड़े
पर मत होना सवार उनपे
..................................................... अरुण

Comments

Rahul Rathore said…
वाह .....

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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