तीन दोहे
अँखियाँ अन्दर जोड़ दे, वो तेरा गुरु होय
गर अँखियाँ गुरु से जुडी,अन्दर का सत खोय
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अगला कद ऊँचा करे हम छोटे हो जात
अहंकार करता दुजा अपने मन पर घात
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माटी कभी न टूटती, घट माटी का टूटे
जो माटी बनकर रहे, कभी न टूटे फूटे
.................................................... अरुण
गर अँखियाँ गुरु से जुडी,अन्दर का सत खोय
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अगला कद ऊँचा करे हम छोटे हो जात
अहंकार करता दुजा अपने मन पर घात
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माटी कभी न टूटती, घट माटी का टूटे
जो माटी बनकर रहे, कभी न टूटे फूटे
.................................................... अरुण
Comments
उच्यतम लेखन के लिए बधाई...
http://kavyamanjusha.blogspot.com/