पक्षपात का दोष

धार्मिक संघर्ष के माहोल में

जहाँ एक दूसरे के प्रति

वैमनस्य, अविश्वास, कटुता

असुरक्षा जैसी भावनाएँ सक्रीय हैं

वहाँ परस्पर हिंसा, दुष्प्रचार, बदला, दहशत

की कारवाइयों होना भी लाजमी है

जो इस संघर्ष के बीच

अपने को किसी एक पक्ष से

जोड़कर परिस्थिति पर प्रतिक्रिया

करतें हैं,

उनकी यह प्रतिक्रिया पक्षपाती हो

तो कोई आश्चर्य नहीं

अपनी एक तरफा सोच से पीड़ित

ये लोग,

अप्रत्यक्ष रूप में

संघर्ष की आग को

भडकाने और उस आग में

और भी मासूम लोगों की जान जाने

की संभावना को बल देते हैं

....................................................... अरुण

Comments

वाह बेहतरीन !!!!

भावों को सटीक प्रभावशाली अभिव्यक्ति दे पाने की आपकी दक्षता मंत्रमुग्ध कर लेती है...
......श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनायें !
जय भोलेनाथ

अस्वस्थता के कारण करीब 25 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

लफ्जों की कश्तियों से.........

तीन पोस्टस्