तात्पर्य गीता अध्याय ८

अणु में वा परमाणु में चलनशील अविनाश /

ब्रह्म-तत्व अविरत रहे, बन उत्पत्ति नाश //

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ब्रह्म-तत्व स्मरता हुआ, योगी हो परमात्म /

जन्म-मरण के बोझ से, बाहर होता आत्म //

................................................ अरुण

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