यही तो मंजिल है

जहाँ खड़ा हूँ, कदम एक भी गलत होगा

ये जमीं जिसपे खड़ा हूँ, यही तो मंजिल है

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यहाँ अभी इसी जगह

नजर से बंधा

माया का आवरण हटे

तो सच्चाई दिख पड़ेगी

सच्चाई के लिए एक कदम भी चलने की

आवश्यकता नही,

न आवश्यकता है

किसी भी दिशा या मार्ग की

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