यही तो मंजिल है

जहाँ खड़ा हूँ, कदम एक भी गलत होगा

ये जमीं जिसपे खड़ा हूँ, यही तो मंजिल है

...................................

यहाँ अभी इसी जगह

नजर से बंधा

माया का आवरण हटे

तो सच्चाई दिख पड़ेगी

सच्चाई के लिए एक कदम भी चलने की

आवश्यकता नही,

न आवश्यकता है

किसी भी दिशा या मार्ग की

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