तात्पर्य गीता अध्याय २

कृष्ण रूप में सत्य ही, भ्रम को देत उघाड़ /

देह मृत्यु मृत्यु नही, आत्मा सदा अजाद //

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आत्म चित्त से कर्म हो कर्म होत बस कर्म /

निर्मन जो भी कर रहा हर हालत में धर्म //

................................................ अरुण

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